कल एक बुढिया को
चटाई बुनते देखा
तब लगा चटाईयां बुनी जाती हैं
पेड़ पर नहीं उगती
पैसों के जोर पर
वो खुशियाँ खरीदने निकल जाता है
उसे ज्ञान नहीं
खुशियाँ बाज़ार में नहीं मिलती
सतह पर टिकने के लिए
कुछ प्रयास सतही हो सकते हैं
पर ग्रुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बगैर
कोई चीज सतह पर नहीं टिकती
जन्म से मृत्यु तक
सुख और दुःख के काल खंड
पलटते रहतें हैं
पूरा जीवन सुख या सिर्फ दुःख में नहीं गुजरती
मै बुढिया से मूल्य
कम करा लेता हूँ चटाई की
वो मेरे चले जाने से डरती है
और किसी नुकसान से नहीं डरती
-----अरशद अली-----