बहुत आसान नहीं पढ़ लू सभी किताबों को
जिल्द लगाने की नियत से खरीदता रहा हूं बस!
अलमारी मेरे रूम की गवाह है मेरी विद्वता का
जिल्द लगे किताबों को रखता रहा हूं बस!
शीर्षक पढ़ा और ज्ञान के गोते लगा लिया
लेखक का नाम याद करता रहा हूं बस!
क्या है लिखा किताब में किताब को हीं पता
हरिवंश राय बच्चन,सुमित्रानंदन पंथ सरीखों से मिलता रहा हूं बस!
युक्ति बहुत है खुद को स्थापित करने के लिए
किताबों को बिन पढ़े भी पढ़ता रहा हूं बस!
एक मेज और कुर्सी है अलमारी के बगल में
उसपर रखे किताब बदलता रहा हूं बस!
एक रौशनी किताबों से निकलेगी एक दिन इसी आस में प्रयास करता रहा हूं बस!
अरशद अली