नकाबों में चेहरा छुपाये इन्सान अपने-अपने उम्र को गुज़ार रहा है...अनुभवों को जमा करते हुए ...सुधारते हुए अपने जीवन शैली को...बिडम्बना हीं है कि जो भी अर्जित किया उसे आने वाले पीढ़ी को बाँट देना है और जो भी अर्जित नहीं हुआ उसे पा लेने के लिए एड़ी पर शारीर को उठाये हाँथ उपर किये प्रयास करते रहना है.
कुछ मिल गया तो मैंने पाया ...नहीं मिला तो किस्मत ख़राब था ..इश्वर मेरे साथ नहीं और पता नहीं क्या-क्या आरोप प्रत्यारोप ..
काम,क्रोध,मोह,लोभ के कीचड़ से सने जिस्म को एयर-कंडीशन में आराम मिलता है भले हीं ये सुविधा शत प्रतिशत अपने ईमान को बेच कर प्राप्त हुआ हो.
चिलचिलाती धुप ,भूख,दरिद्रता में पड़े एक बहुत बड़ी जनसँख्या की संवेदनाओं को दर किनार कर हमारे कई नामी-गरामी ब्लोगर धर्म के आड़ में इंसानियत को ताख पर रख चुके है..अब तो बस उनके लिखने का मकसद बस इतना है कि कैसे अपने विपरीत धर्म के ज्यादा से ज्यादा लोगों को आहत किया जाए.
मुझे दुःख होता है ये देखते हुए कि कई ब्लोगर अपना ज्ञान,धर्म के मामले में इस लिए बढ़ा रहे है की वो दूसरों को नसीहत दे सकें..और नसीहत के चक्कर में खुद नंगे होते चले जा रहें है.
हम मुस्लिम,हम हिन्दू ,हम अच्छे, तुम बुरे....(कितने शर्म की बात है कि हमारे मध्य कुछ लोग शान से ऐसा कहते हैं )
कुरान,गीता,ग्रन्थ,आस्था विश्वाश ,तर्क- वितर्क,घमंड,बडबोला-पन,राजनीती सभी को मिला कर एक शरबत बना कर
ज़बरदस्ती पिलाने की चेष्टा करने वाले भाइयों से गुज़ारिश है की इंसानियत के धर्म का पालन कीजिये जो सभी धर्म का आधार है.
किसी भी धर्म की उत्पति नहीं हुई है बल्कि वो हमसे पहले से निर्धारित है .धर्म (चाहे कोई भी नाम दीजिये)हमारे जन्म से पहले भी था और हमारे मरने के बाद भी रहेगा ...ऐसे में हम दो कौड़ी के इन्सान जिसे ये भी नहीं पता की कल क्या होगा
को,अपने जन्म का सदुपयोग अपने धर्म पर आस्था एवं दुसरे धर्मो का बहुत आदर करते हुए करना चाहिए ..और यही एक तरीका है इंसानियत धर्म को पालन करने का...
अंत में ...एक बात और
खुद को उम्दा इन्सान बनाने के लिए धर्म ज्ञान अर्जित करना वास्तव में ज्ञान या बोध कहा जा सकता है.
परन्तु दूसरों को सिखलाने के लिए ज्ञान अर्जित करने वाले अपने अधकचरे ज्ञान से फसाद को जन्म देने के अलावा कुछ नहीं कर पाते ...ऐसे लोगों को इश्वर/अल्लाह शान्ति और थोडा सा अक्ल दे...आमीन
6 comments:
इंसानियत के धर्म का पालन कीजिये। सही कहा अपने। बस एक यही धर्म तो हम सभी भूले हुए हैं।
कुरान,गीता,ग्रन्थ,आस्था विस्वास,तर्क- वितर्क,घमंड,बडबोला-पन,राजनीती सभी को मिला कर एक शरबत बना कर
ज़बरदस्ती पिलाने की चेष्टा करने वाले भाइयों से गुज़ारिश है की इंसानियत के धर्म का पालन कीजिये जो सभी धर्म का आधार है.
आपने जो कुछ लिखा उसके बारे में कुछ नही कहूँगी......सिर्फ़ आपकी हिन्दी की समस्या के बारे में------अगर इस पोस्ट की गलतियों के बारे में बताऊंगी तो मेरी एक पोस्ट तैयार हो जाएगी यहाँ बताना ठीक नहीं होगा .....गुरू माना है तो मेल ID दिजीए......गुरू दक्षिणा के बारे मे समय आने पर बताऊंगी...........
ये वर्ड वेरीफ़िकेशन हटा दिजीए.....
bahut khub
badhai is ke liye aap ko
bhai
tumhare khyalat umda hai bhut bhut pak bhi hai .ijajt ho to kuchh khu.
bchche ki hsi me
shrmik ke pseene me
phulo ki khushboo me
suraj ki grmi me
pani ki thandk me
ha, aisa bhi bhut kuchh hai jinme ''smta'' ka dhrm hai.chahungi is pr bhi tum kuchh likho .
bilkul sahi kaha aapne bhai. insaniyat ko aajkal log bhulte ja rahe hain aur ham kisi ko dosh bhi nahi de sakte kyuki khud ham bhi kisi na kisi majburi ki wajah se apni responsibility jo hai insaniyat k prati wo pura nahi kar pa rahe hain. aaj sabhi apne bachcho ko dharmik riti riwajo ka palan sikhate hain. pooja iase karo, shiv ki puja aise karni chahiye to krishna ki aise. namaj aise padhni chahiye to mandir ka ghanta aise bajao. par koi aaj ye sikhane ki jahmat nahi sikhata apne bachcho ko ki insaniyat bhi koi chij hai. paropkar aur daya sikhana log bhul gaye hain. dharmik tariko ki bajay log paropkar aur daya sikhane lage apne bachcho ko to duniya swarg ban jaye. mai ye nahi kahta ki riti riwajo ko sikhana galat hai par is se jyada jaruri hai ki ham apne agle peedhi ko paropkar, daya aur insaniyat sikhaye. aapke vichar bahut uttam hain arshad sir. thank you.
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