मैंने अपने ससुर जी से कहा
आपकी बेटी चुटकी बजा कर
कई लड़ाइयाँ लड़ लेती है
ससुर जी कहते हैं ....
"ताली एक हाँथ से नहीं बजती है "
शेर सुनाने पर भी माहोल
ठीक नहीं होता
ससुर जी कहते हैं ....
"सौ सुनार का तो एक लुहार का होता है "
बड़े भाई के समझाने पर भी
उसे समझ नहीं आई है
ससुर जी कहते हैं ....
"चोर चोर मोसेरे भाई हें "
आपकी बेटी का बनाया
खाना भी मुझे नहीं भाता है
ससुर जी कहते हैं ....
"कुत्ता घी नहीं खाता है "
मैंने कहा आप लड़ाई
सुलझा रहें हैं
या इसे और भड़का इए गा
ससुर जी कहते हैं ....
"आप जैसा कीजियेगा वैसा हीं पाइयेगा "
मैंने कहा ..आप मुहाबरों में मेरा
अपमान कर रहें हैं
ससुर जी कहते हैं ....
"आप भी तो लग्घी से पानी भर रहें हैं"
ऐसे भी मेरी बेटी अपने माँ पर गयी है
अभी से परेशान हो गए
अभी तो वो नयी है
माँ-बेटी के चक्कर में जो पड़े
वो दिन-रात रोए ...
मैंने कहा ससुर जी ..
"बोया पेड़ बबुल का तो आम कहाँ से होए"
---अरशद अली---
तश्वीर गूगल के मदद से...
3 comments:
waah ...very interesting conversation between father and son in law.
तो दामाद जीत ही गया :)
Kaya yeh kivita tumhari patni ne padha hai?Agar nahi to Padhana bhi nahi?
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