दूरियां कितनी भी बना लो
यादें चली जाती हैं ......
ऐसा क्यों ?
जो चीज प्यारी होती है
वही टूट जाती है ......
ऐसा क्यों ?
जीवन से प्यार होता है
ज़िन्दगी रूठ जाती है ......
ऐसा क्यों ?
मौन रहना चाहता हूँ कुछ क्षण
अंतः कलह शब्द फोड़ जाती है ......
ऐसा क्यों ?
आत्मबल बढ़ता हूँ बहुत देर तक
दुनिया मनोबल तोड़ जाती है ......
ऐसा क्यों ?
गलती करना नहीं चाहता कोई
पर नेकियाँ साथ छोड़ जाती है ......
ऐसा क्यों ?
बात करने से सुकून जहाँ मिले
शब्द वहीं मुँह मोड़ जाती है ......
ऐसा क्यों ?
प्रश्नों का उत्तर पाते-पाते
उत्तर कई और प्रश्नों को छोड़ जातीं है ......
ऐसा क्यों ?
....अरशद अली ....
तश्वीर गूगल की मदद से ..
3 comments:
न जाने कितने ही ऐसे सवालों से जीवन जूझता रहता है जवाब की तलाश में!
बहुत सुंदर.बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
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http://mmsaxena69.blogspot.in/
सच बहुत से प्रश्न अनुतरित हो रह जाते हैं ...उनका जवाब भुक्तभोगी के पास भी नहीं रहता ......जीवन है यह कभी धुप कभी छाव--- कभी ख़ुशी कम गम .....
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