Wednesday, October 13, 2010

प्यार तुम्हारा झाड़ू-बेलन--------------अरशद अली

यूं हीं बैठे-बैठे एक कविता का जन्म हुआ. क्यों हुआ कैसे हुआ अगर इसपर लिखने बैठु तो एक हास्य ब्यंग बन जायेगा और एक बेहद गंभीर सब्जेक्ट पर मजाकिया अंदाज़ में लिखना ठीक नहीं होगा.... इसके पीछे के तथ्यों को मुझे लिखना चाहिए की नहीं इसका निर्धारण आप हीं करेंगे .

इस कविता को पढ़ कर आनंद लें.

तुमने कहा,मान गया गर
तो प्यार तुम्हारा ,गुलाब-जामुन
अगर न माना तेरे कहने को
तो प्यार तुम्हारा झाड़ू-बेलन

खट-खट खट-खट
खीट पीट खीट पीट
हँस कर सहा तो सुन्दर यौवन
नज़र घुमाया,तुम्हे भुलाया
फिर प्यार तुम्हारा झाड़ू-बेलन

गिफ्ट जब लाया,गुलाब लगाया
कुछ क्षण गुज़रा हँस कर जीवन
भूल गया जब तेरे जन्म दिवस को
फिर प्यार तुम्हारा झाड़ू-बेलन

खरा उतरा जब हर वादे पर
स्वर्ग सी अनुभूति तेरा छुवन
जब टूट गया कोई वादा मुझसे
फिर प्यार तुम्हारा झाड़ू-बेलन

हँस कर मिला तो हँस कर लौटा
प्रसन्न रहा फिर दिन भर ये मन
जैसे हीं कुछ कमी गिनाया
फिर प्यार तुम्हारा झाड़ू-बेलन

हर जुर्म सहा तेरे प्यार में
हँसता रहा हर समय मै बेमन
अब तो आदत है लेने की
प्यार में तेरे झाड़ू-बेलन .....

Sunday, October 3, 2010

बॉस का ब्लॉग ---------------अरशद अली

नाचीज़ को अरशद कहते हें..

कहियेगा मै पागल हो गया हूँ ..मगर नहीं साहब मुझे अपना परिचय देने दीजिये..

वही अरशद जिसका एक ब्लॉग है..अरशद के मन से....क्यों पहचाने की नहीं?

आप सोंच रहे होंगे बैठे बिठाए परिचय देने की क्या ज़रूरत पड़ गयी ..तो भाई साहब/बहनजी पिछले कई महीनो से मै गायब चल रहा था ...अब गायब क्यों चल रहा था ये जानना हो तो आगे की कुछ पोस्ट पढना होगा..और पोस्ट तो उसी की पढ़ी जाती है जिसका कोई परिचय हो....
रही बात गायब रहने की तो कम शब्दों में बतला देता हूँ ,29 अप्रैल को विवाह बंधन में बंध गया ..और विवाह ब्यस्त हो जाने का एक कारण होता है... पत्नी के आते हीं जिम्मेदारियों का बोझ आ जाता है ..ये बात तो कुछ हद तक ठीक है साथ-साथ विवाह होते हीं इन्सान इतना ब्यस्त हो जाता है की ब्लॉग के लिए टाइम निकल ले मुश्किल है ....मै उन सभी ब्लोगर में माफ़ी चाहूँगा जो ऐसे समय में भी पाठको के करीब रहे...मुझसे तो ये नहीं हो सका ....

मुझे पता है आप मुझे मेरे विवाह की बधाइयाँ ज़रूर देंगे..तो मै आपको ये भी बतलाता चलूँ की मुझे शिक्षा-रत्न सम्मान झारखण्ड बिधान सभा अध्यक्ष द्वारा 15 अगस्त 2010 को प्राप्त हुआ..(शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु ) मेरी पत्नी के आने के बाद और मेरे विवाह का सबसे बड़ा गिफ्ट रहा....


तीन महीने के बाद ब्लॉग की दुनिया में आया तो रविजा दीदी,राजवंत दीदी के पुराने नए सभी पोस्ट को पढ़ा कुछ एक का टिपण्णी भी कर पाया ..एक बात जो सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो रविजा दीदी के रक्षा बंधन के उपलक्ष्य पर आये पोस्ट में मेरे नाम का होना था...कुछ समय के लिए मै मौन हो गया ..और मेरे आखों में दीदी के लिए बहुत सम्मान पानी के रूप में अपनी उपस्थिति बतला गया....मुझे दुःख:है तकनीकी कारणों से उन्हें कोई टिपण्णी नहीं दे सका ...

राजवंत दीदी जो लिखने में माहिर है..और हमेशा मै उनके सोंचने के स्टाइल का कायल हो जाता हूँ...सोंचता हूँ इतना बेहतर और गंभीर चिंतन वो कैसे कर लेतीं हें ..उनके लिखे सभी पोस्ट से बहुत कुछ सिखने को मिलता है.

राजवंत दीदी ने मेरे गायब रहने पर भी मुझे टिपण्णी देना नहीं भूली ...और मै उनका आभारी हूँ...उन्होंने हीं मुझे लिखते रहने का आदेश अपने पिछले टिपण्णी में दिया था और आज मै उनके हीं आदेश का पालन कर रहा हूँ



और अंत में मेरे बॉस के ब्लॉग का पता आपके लिए छोड़े जा रहा हूँ इसी आशा के साथ की आप उनके ब्लॉग पर जाकर उनका ब्लॉग की दुनिया में अविनंदन करेंगे ...उनके लिखने के शैली मेरी तरह आपको भी प्रभावित कर जाएगी.
http://rcppblog.blogspot.com