Monday, May 20, 2013

चटाईयां पेड़ पर नहीं उगती .................अरशद अली


कल एक बुढिया को
चटाई बुनते देखा
तब लगा चटाईयां बुनी जाती हैं
पेड़ पर नहीं उगती

पैसों के जोर पर
वो खुशियाँ खरीदने निकल जाता है
उसे ज्ञान नहीं
खुशियाँ बाज़ार में नहीं मिलती

सतह पर टिकने के लिए
कुछ प्रयास सतही हो सकते हैं
पर ग्रुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बगैर
कोई चीज सतह पर नहीं टिकती

जन्म से मृत्यु तक
सुख और दुःख के काल खंड
पलटते रहतें हैं
पूरा  जीवन सुख या सिर्फ दुःख में नहीं गुजरती

मै  बुढिया से मूल्य
 कम करा लेता हूँ चटाई की
वो मेरे चले जाने से डरती है
और किसी नुकसान से नहीं डरती


-----अरशद अली-----


Saturday, May 18, 2013

"भगवान का घर बन रहा है "...........अरशद अली


गाँव के अन्य लड़कों के साथ
मंदिर निर्माण के लिए चन्दा 
लेते " मोहम्मद अली "
भावुक हो जाते  थे   
पूछने पर  यही कहते  थे   
"भगवान  का घर बन रहा है "

सादिक इसका बिरोध करते थे ।

श्रीकांत सिंह हमेशा 
अपना  पानी लेकर चलते थे  
किसी अन्य के हाथों से 
जल तक ग्रहण नहीं करते थे 

सूर्यकान्त सिंह इसका बिरोध करते थे ।

सादिक ,सूर्यकांत के खेत 
एक पानी से सिचते थे
और पानी के लिए आय दिन कहासुनी
हो जाती थी

दोनों पुलिस से डरते थे ।

कुछ घर के बच्चे
मिया टोली के बच्चे जितना उपेछित दिखते  थे
परन्तु भुनेश्वेर झा विद्यालय में
एक सामान पढ़ाते थे ।
और कभी-कभी मास्टर साहब के
प्रयास से फुटबाल मैच में
सभी घर के बच्चे दिख जाते थे

कोई इसका बिरोध नहीं कर पाता था।

इस तरह गंगा किनारे बसे मेरे गाँव में
कई अन्तः द्वन्द रहते हुए भी
शांति बनी रहती थी
और बिविध उतार चढ़ाव में
एक संतुलन बना रहता था

और सभी बड़ों का सम्मान करते थे
चाहे वो किसी भी वर्ग के हों

होली में
गाँव के मध्य
एक हीं  गड्ढा बनाया जाता था
सभी के लिए
और सभी गंगा में नज़र आते थे
सने कीचड़ और रंग छुडाते हुए

गंगा इसका बिरोध नहीं करती थी

कीचड़ धुलते हीं
स्वतः वर्गीकृत हो जाते थे  लोग
अगली होली तक


आज इतने वर्षो बाद
गाँव गाँव नहीं लगा

मंदिर के लंगर लिए चन्दा काटने
वालो में अब वो जोश नहीं दिखता

श्रीकांत सिंह नहीं रहे ...
और उनकी नियमों को भी उनके जाने के बाद
किसी ने किसी में  नहीं देखा

सूर्यकान्त  सिंह बड़े बेटे के साथ
शहर में रहते हैं
और सादिक अपने  घर में
अब शायद हीं  दोनों आपस में मिल पायें

वो मैदान अब नहीं रहा
जहाँ भुनेश्वेर झा फ़ुटबाल मैच करवाते थे
और  बच्चे भी  क्रिकेट देखना पसंद करते हैं

अब होली होली नहीं लगती
अब  गाँव गाँव नहीं लगता .............

----अरशद अली-----







Friday, February 1, 2013

ऐसा क्यों ? ........अरशद अली


दूरियां कितनी भी बना लो
यादें चली जाती हैं ......

ऐसा क्यों ?


जो चीज प्यारी होती है
वही टूट जाती है ......

ऐसा क्यों ?


जीवन से प्यार होता है
ज़िन्दगी रूठ जाती है ......

ऐसा क्यों ?


मौन रहना चाहता हूँ कुछ क्षण
अंतः कलह शब्द फोड़ जाती है ......

ऐसा क्यों ?


आत्मबल बढ़ता हूँ बहुत देर तक 
दुनिया मनोबल तोड़ जाती है ......

ऐसा क्यों ?


गलती करना नहीं चाहता कोई
पर  नेकियाँ साथ छोड़ जाती है ......

ऐसा क्यों ?


बात करने से सुकून जहाँ मिले 
शब्द वहीं मुँह मोड़ जाती है ......

ऐसा क्यों ?


प्रश्नों का उत्तर पाते-पाते 
उत्तर कई और प्रश्नों को छोड़ जातीं  है ......

ऐसा क्यों ?

....अरशद  अली ....
तश्वीर गूगल की मदद से ..




Friday, January 18, 2013

हमारे कई ब्लॉगर भाई ब्लॉग की दुनिया से गायब नजर आयेंगे उनमे कुछ विशेष नाम ,महफूज़ भाई ,ललित जी,समीर लाल सर ,गोदियाल साहब ,वंदना दी , रविजा दी ,संगीता मैम,आदि प्रमुख हें..........अरशद अली


बचपन में एक  फिल्म देखी थी "मिस्टर इंडिया" .....जितनी समझ थी उतने में एक बात यही समझ में आई फिल्म बहुत अच्छी है ...फिल्म में एक मोगेम्बो  था .....हे मोगेम्बो  सुनना उसे अच्छा लगता था ...लोगों को सताता था ,डरता था जब भी परदे पर आता था डर लगता था...मगर वहीँ एक मिस्टर इंडिया भी था जो डरावना बिलकुल नहीं था वो अनाथ बच्चों की  देख रेख करता था। उसे गायब होना आता था। ..शायद इस  लिए बुरे  लोग उससे डरते थे ...वो बुराइयों को ख़त्म करने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग करता था। ..एक लड़की उससे प्रेम करती थी, वो मिस्टर इंडिया के कारनामों से प्रभावित थी।... आप कहेंगे कि  मैंने मिस्टर इंडिया पर लेख लिखना शुरू कर दिया ...तो  मेरा ऐसा कोई विचार नहीं..चलिए थोडा  कल्पना के घोड़े दौड़ा लेते है ...अगर हम सभी को मिस्टर इंडिया के जैसे  गायब होने की शक्ति प्राप्त हो जाए तो क्या होगा...

(१) सबसे पहले भारत की जनसंख्या का सही सही अंदाज़ा लगाना मुश्किल  हो जायेगा क्यों की ज्यादातर  इन्सान गायब हीं रहेंगे आप गिनोगे किसको। .
(२) एक गायब मिस्टर इंडिया लाखो गायब मोगेम्बो  का कुछ नहीं बिगड़ पायेगा ..एक दिन तंग आकर मिस्टर इंडिया भी मोगेम्बो  बन जायेगा।
(३) हमारे कई ब्लॉगर भाई ब्लॉग की दुनिया से गायब नजर आयेंगे उनमे कुछ विशेष नाम ,महफूज़ भाई ,ललित जी,समीर लाल सर ,गोदियाल  साहब ,वंदना दी , रविजा दी ,संगीता मैम,आदि प्रमुख हें क्यों की उन्हें गायब होकर जीने में जो मज़ा आएगा वो ब्लॉग की दुनिया से बिलकुल अलग होगा और ये संवेदनशील लोग अन्य लोगों के प्रोत्साहन के लिए टिपण्णी नहीं देंगे मगर गायब होकर ब्लॉगर मीट में जरुर पहुंचेंगे (मैंने नाम बस यु हीं चुना है कृपया अन्यथा ना लें )
(४) पत्नी पीड़ित अपनी पत्नी से बचने के लिए गायब हो जायेंगे और पत्नी प्रेमी पूरी दुनिया से गायब रह कर पत्नी के इर्द गिर्द पाए जायेंगे
(५) पुलिस  गायब लोगों की रिपोर्ट. नहीं लिखेगी ...
(6) राम देव बाबा, केजरीवाल साहब को कांग्रेस गायब होकर शायद समर्थन करेगी ....

और भी बहुत सी संभावनाएं हैं ........कुछ आप भी जोड़ सकते हैं .......आपको क्या लगता है , ज़रूर अवगत कराएँ।

----अरशद अली ----