कुछ शब्दों के जोड़ घटाव से, घटनाओं के कई पड़ाव से, जो भी सिखा इस जीवन से, कुछ शब्द अरशद के मन से...................
Tuesday, February 14, 2023
श्रद्धांजलि
जो सुना समझ नही पाया। मेरे दिमाग को झंझोड़ कर रख दिया एक कॉल ने। शून्य बहुत लंबा
शून्य! मानसिक द्वंद में डाल कर चुप चाप चले जाना धोखा से कम नहीं लगा। क्यों?
क्यों? आखिर क्यों? ये शून्य समाप्त होने का नाम नहीं लेता। कई हजार सवाल से लड़
रहा हूं शायद जीवन भर लडूंगा। क्या हुआ? क्यों हुआ? से निकल नही पा रहा हूं।
व्यवहार की लड़ाई हार गया। खो दिया उसे जो शानदार था। मित्र बड़ा भाई बहुत मिलनसार
दयालु कर्मयोगी जो पैदल चलता था की सेहत अच्छी रहे ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिल
कर उनका हाल चाल ले सके निहायत संवेदनशील था शानदार था सरल था सुगम था सहज था वो अब
जटिलता के शिखर पर जा बैठा है। अभी भी लगता है सब झूठ है। कोई कह दे की सब झूठ है।
अगर ये सत्य है तो ये सत्य बहुत कठिन है। बहुत कठिन। मुझे पश्चाताप है की उन्हें
सुन नही पाया अंतिम कुछ माह में जीवन के अपने सबसे बड़े नुकसान को सहन कर पाऊंगा
बहुत कठिन है। अत्यंत ऊर्जावान सकारात्मक इंसान का जाना दुखद है बेहद दुखद।
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