संबंधों की इस दुनिया में
रिश्ते नाते जाने कितने
हर नातों के कितने नातें
नातों के भी कितने गांठें
उन सब में एक और है नाता
ता उम्र जो संघ चलता है
प्रतिद्वंदी बन वो जो कहता है
कर्मों का है प्रतिध्वनि होता है
लाख नकारे मन फिर भी
प्रतिद्वंदी सदेव संघ रहता है ........
------प्रतिद्वंदी------
मै उसे समझता रहा
और वो मुझे
मै उसपर हँसता रहा
और वो मुझपर
मै उसमे खामियां धुन्धता रहा
और वो मुझमे
मै उसके मार्ग का अवरोध रहा
और वो मेरे
मै उसके सफलता को रोकने में जुडा रहा
और वो मेरे
मै उसके मार्ग भूलने पर उत्सव मनाया
और उसने मेरे
बुरे रूप में हीं वो मेरे मन मष्तिस्क पर छाया रहा
और शायद मै उसके
इसी आपाधापी में
मुझे उसकी असफलता से प्रेम हो गया
और मेरी असफलता से उसे
अब तो आदत हो गयी है उसे देखने की
और उसे भी यही लत है
अब जीवन के इस पड़ाव पर
मुझे उसके मृत्यू का इंतज़ार है
और उसे मेरे..
-----अरशद अली----
3 comments:
संबंधों की इस दुनिया में
रिश्ते नाते जाने कितने
हर नातों के कितने नातें
नातों के भी कितने गांठें
Bahut khoob!
Holee kee anek shubhkamnayen!
आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
यही प्रतिद्वंदिता है, क्या करे, हम सोचते है कि हम है वो सोचते है कि वो है, दोनों ये नहीं सोचते है कि दोनों है
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