Thursday, March 4, 2010

मै तुम्हे क्या लिखूं,तुम्हारे बिषय में जानता भी तो नहीं.

रिक्तता में खोजता हूँ...शुन्य तक निहारता हूँ
कल्पनाओं के रूपों में आकार धुन्धता हूँ..
बहुत सोंच कर भे कहा सोंच पता हूँ
शुन्य से चल कर शुन्य तक पहुँचता हूँ


मै तुम्हे क्या लिखूं,तुम्हारे बिषय में जानता भी तो नहीं.

निशब्द परिभाषाओं का अर्थ लगता हूँ
खुद को स्वार्थ के धरातल पर पता हूँ
सोंचता हूँ श्रींगार करोगी तुम मेरे लिए?
फिर मौन मौन और मौन में उत्तर कहाँ पता हूँ


मै तुम्हे क्या लिखूं,तुम्हारे बिषय में जानता भी तो नहीं.

अस्त ब्यस्त प्रतीक्षा में रहता हूँ
काल्पनिक चूड़ी की खनक रह रह कर सुनता हूँ
संभवतः कर्ण प्रिये मधुर स्वर सहद घोल दे जीवन में
कल्पनाओं का एक जाल बुनता रहता हूँ


मै तुम्हे क्या लिखूं,तुम्हारे बिषय में जानता भी तो नहीं.

जनता हूँ तुम्हारे पक्ष के लोग कई प्रश्न उठाएंगे
तुम्हारे शुभचिंतक मेरे अन्दर तुम्हारा प्रतिरूप तलाशने
में निशब्द कसौटी पर खरा उतरने के लिए छदम रूप धारूंगा
पर बास्तव में मै कोई छल नहीं करूँगा


मै तुम्हे क्या लिखूं,तुम्हारे बिषय में जानता भी तो नहीं.

मै बांटना चाहता हूँ तुमसे
अपने अंतर मन के दुखों को
ठण्ड की ठिठुरन,सूरज के किरणों की छुवन को
जीवन के प्रतेक पड़ाव के छण को


मै तुम्हे क्या लिखूं,तुम्हारे बिषय में जानता भी तो नहीं.

यही सोंचता हूँ काल के का आवरण ओढे कहीं दूर तुम
अपने शादी के जोड़े में गोटा टाकते होगे,
बिंदी चुदियाँ खरीदते होगे
स्वपन देखते देखते प्रफुलित हो जाया करते होगे

और कभी कभी ऐसा भी लगता है की
तुम दूर तक एक कल्पना हो ..और
मेरी कल्पनाएँ यु हीं पंख लगा कर उडती रहती है


मै तुम्हे क्या लिखूं,तुम्हारे बिषय में जानता भी तो नहीं.

--अरशद अली--

7 comments:

Randhir Singh Suman said...

यु हीं पंख लगा कर उडती रहती है .
मै तुम्हे क्या लिखूं.nice

Udan Tashtari said...

बढ़िया.....

Arshad Ali said...

Thanks Suman jee Samir jee.

rashmi ravija said...

मै बांटना चाहता हूँ तुमसे
अपने अंतर मन के दुखों को
ठण्ड की ठिठुरन,सूरज के किरणों की छुवन को
जीवन के प्रतेक पड़ाव के छण को
सुन्दर पंक्तियाँ हैं....थोड़ा समय देकर कर टाईपिंग त्रुटियाँ भी सही कर लिया करो....

rashmi ravija said...

ये word verification भी हटा लो,तो बेहतर

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत बढिया कविता है. सुन्दर अभिकल्पनाओं के साथ.

RAJWANT RAJ said...

साकार की ज़रुरत है आगत के लिए शुभकामनाये.