Friday, March 5, 2010

विवाद संस्कृति के नाम पर करने से मत चुको,ऐसा करो चाँद में भी दाग है,सर उठाओ और चाँद पर भी थूको ----अरशद अली

सबसे पहले गुरु जी को सादर प्रणाम कीजिये ....
वही गुरु जी जो, कमाल कर दिए हैं महिलाओं के छत्ते में हाँथ डाल कर ,अब लिखने में माहिर तो हैं हीं, हारेंगे थोड़े न,अगला पोस्ट लिखबे करेंगे ...नहीं तो लिख भी दिए होंगे थोडा ब्लोग्वानी पर जाकर पता लगवा लीजिये ....कुछ मिले तो मुझे भी जानकारी दीजियेगा.अब लिखेंगे तो चर्चा होगा ,चर्चा होगा तो बहस छिड़ेगा ...मामला खेल खेल में इतना गंभीर हो जाएगा की बस पूछिये मत..सारी महिलायें पुरषों को दोषी मानेंगी और हम गुरूजी के अनुयाई महिलाओं को संस्कृति,मर्यादा और पता नहीं क्या-क्या गुरुदेव ने हिंदी शब्दों का प्रयोग किया था, के द्वारा संस्कृति के पतन का कारण मान कर अपने बात पर अटक जायेंगे ..इतना हीं नहीं लिख दिया तो लिख दिया कह कर चमगादड़ की तरह उल्टा लटक जायेंगे..

मैंने तो ये सब गुरूजी से सिखा है..
हाँथ धो कर महिलाओं के पीछे पड जाओ
जो नहीं माने उससे तर्क की सीमा तक लड़ जाओ
विवाद संस्कृति के नाम पर करने से मत चुको
ऐसा करो चाँद में भी दाग है,सर उठाओ और चाँद पर भी थूको
मानो मत,दिमाग लड़ते रहो ...
सभ्य -असभ्य सभी को ब्लॉग पर मर्यादित शब्दों के प्रयोग का पाठ पढ़ते रहो
ऐसा करो सर कलम करने पर एक क्रन्तिकारी आलेख बनाओ
पोस्ट के नाम पर किनारे रह कर सभी को निशाना बनाओ
वेलेंटाइन दिवस पर लड़कियों को लड़कों से मिलने पर क्या अनर्थ होगा स्पस्ट
शब्दों में बतलाओ
फिर खोजना प्रारंभ करो की किसने किसने होली,दीपावली,छट,बसंत पंचमी पर
नहीं लिखा है
टिप्पणियां कर उन्हें कारण बताओ नोटिस दे डालो.

अब देखो लोकप्रियता कैसे बढती है.अगर फिर भी लोकप्रियता नहीं बढे तो
ब्लॉग छोड़ने का एक आडम्बर रचो..
कपडा जब तक फट ना जाए तब तक फिचो
फिर डिटर्जेंट पाउडर पर एक दोष लगाओ
कुछ दिन रूठे रहो पुनः राष्ट्रीय गीत गाते हुए वापस आ जाओ

अब पुनः लोकप्रियता नोट करो..बढ़ी नहीं मिले तो कहना..



ये सब कुछ तरीकें हैं खुद को ब्लॉग पर हिट करने के जो मैंने गुरूजी से सिखा है,आप भी सिख लीजिये ..समझ में आ गया हो तो पालन कीजिये अन्यथा विवाद करना भी मैंने गुरूजी से सिखा है ..आप बेवाकी से अपनी प्रतिक्रिया दें मै अपने कहे पर अड़ कर अंत तक नहीं हारूँगा ...और अगर हार गया तो गुरूजी का चेला नहीं.

---अरशद अली--

9 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice...................................

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

आपके गुरू जी तो बहुत ही पहुँचे हुए लगते हैं :-)

शबनम खान said...

अरशद जी क्या लिखा है आपने.....ज़बरदस्त....
हर एक शब्द सच है...
ये पढ़ते ही एक ब्लॉगर का नाम अचानक ज़हन में आ गया...जो ये सब पैतरे अपनाता है...ऐसे और भी कई होंगे....

प्रवीण said...

.
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नाईस...

सही रास्ते पर हो दोस्त,
ब्लॉगिंग के नये सुपरस्टार का स्वागत है!

तस्मै श्री गुरूवै नम्:।

Urmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

Alpana Verma said...

waah! aaj padha aap ko..
bahut jaldi samjh gaye aap yahan ka mahol!
badhaayee!

Alpana Verma said...

waah! aaj padha aap ko..
bahut jaldi samjh gaye aap yahan ka mahol!
badhaayee!

Dr.Dayaram Aalok said...

आपके आलेख पर आकर मन प्रफ़ुल्लित है। लगातार गंभीर विषयओं पर लिखना-पढना सेहत के लिये हानिकारक होता है।आपका लेख दिमाग फ़्रेश करने की होम रेमेडी है।

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।