Sunday, March 21, 2010

समस्याएं जो भी हें ..ईश्वर पर आस्था से, आकाश गंगा से ,पहाड़ से,ग्रेनाईट के चट्टान से यहाँ तक की ट्रक से भी छोटी है,, अरशद अली

कई साल पहले
ग्रेनाईट के चट्टान पर चढ़ते हुए
महसूस किया थकान
सीधी खड़ी चढ़ाई
चाहिए था कुछ आराम ..

बैठा ख्यालों में टकटकी लगाये
उस हाईवे पर जो ग्रेनाईट के चट्टान
के नीचे नीचे गुजरता था और गुजरता था
कई बड़े ट्रकों को पत्थर ढ़ोते हुए ...

एक सनसनी छा गयी

मै सोंचता रहा ट्रक को बड़ा
मगर इश्वर की इस रचना जिसपर मै बैठा था
मनुष्य के रचना से बड़ा था
और ग्रेनाईट का चट्टान छोटा था मिस्र के पिरामिड से..

अब मै रहता हूँ पहाड़ के तराई में
और डूब सा जाता हूँ दुःख की गहराई में
सोंचता हूँ मेरी समस्याएं बहुत बड़ी हें

जब भी ऐसी सोंच जन्म लेती है..
मै दृष्टि टिका देता हूँ पहाड़ पर
मेरी समस्याएं छोटी होते चली जाती हें..

जब भी दिन रात में बदल जाता है
तब सितारों को निहारता हूँ और
सोंचने लगता हूँ कितना समय लगा होगा
असंख्य सितारों के निर्माण में
जाने कितनी दुनिया होंगी करोडो सितारों में
जाने कितने आकाश गंगाएं होंगी सितारों को समेटे हुए
और करोडो आकाश गंगाएं जो कल्पनाओं से परे हें
आकार में जाने कितने बड़े हें..
जो ट्रक से ग्रेनाईट के चट्टान से
पहाड़ से इस ग्रह से भी बड़े हें जिसपर मै रहता हूँ

मै सोंचता हूँ समस्याएं जो भी हें ..ईश्वर पर आस्था से,
आकाश गंगा से,पहाड़ से,ग्रेनाईट के चट्टान से
यहाँ तक की ट्रक से भी छोटी है,,
और मेरी समस्याएं उतनी बड़ी नहीं लगती जैसा मैंने
सोंचा था ..



(अंशतः एक अंग्रेजी आलेख से प्रभावित )

---अरशद अली---

4 comments:

संगीता पुरी said...

मै सोंचता हूँ समस्याएं जो भी हें ..ईश्वर के आस्था से,
आकाश गंगा से,पहाड़ से,ग्रेनाईट के चट्टान से
यहाँ तक की ट्रक से भी छोटी है,,
और मेरी समस्याएं उतनी बड़ी नहीं लगती जैसा मैंने
सोंचा था .
बहुत सही ...

Anonymous said...

जब भी ऐसी सोंच जन्म लेती है..
मै दृष्टि टिका देता हूँ पहाड़ पर
मेरी समस्याएं छोटी होते चली जाती हें..!!! अरशद !!! आप तो बहुत अच्छा लिखते हैं !इस कविता में सम्वेदनात्मक गहराई है !लिखते रहिये !महिला विधेयक की मुहीम में निश्चित रूप से आप पहली पंक्ति में शामिल होंगे !आप नही तो और कौन ? भाई बहन मिलकर अधिकार लेंगे और देश को मजबूत बनायेंगे !

Yogesh Kumar said...

एक संवेदनशील ह्रदय से निकले उद्गार. स्वागत है आपके इन विचारों का...

Urmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!