Sunday, November 7, 2010

एक वादा टूट गया इस दीपावली में ............अरशद अली

आपका इंतजार कर रहा हूँ ...अभी तक आप नहीं निकले....पापा आपको तो पता है कितनी सारी खरीदारी करनी है..अभी
शाम होते हीं दोस्तों का जमावड़ा लग जायेगा ...सभी पटाखे जलाएंगे और मेरे लिए पटाखे का इंतजाम अभी तक नहीं हुआ ..
माँ को बोल रहा हूँ तो बस यही कहती है ...तुम्हे अपनी पटाखे की पड़ी है ..घर में इतने काम पड़े हें..थोडा इंतजार करो पापा आते हीं होंगे...पापा,आप जल्द से जल्द आओ न...मुझसे इंतजार नहीं होता

एक छोटा बच्चा अपने पापा से ऐसे हीं बात करता है अगर उसके पापा नौकरी के सिलसिले में कई दिनों से बाहर हों और दीपावली की तैयारी में कुछ कमी रह जाए तो...और इसके जवाब में बच्चे के पापा ने क्या कहा होगा आप समझ सकते हें ...

आगे कई संभावनाएं बनते है...
१) पापा वादा के अनुरूप समय से घर आ जाएँ और अपने बच्चे की मनोकामनाओं को पूरा कर दें...मुझे याद है बचपन में मेरे पापा जब भी ऑफिस से आने में लेट हो जाते थे तो मै माँ से पूछना शुरू कर देता था..जहाँ मै इतना बेचैन हो जाता था वहीँ माँ बिलकुल शांत रहती थी ..और थोड़ी देर में पापा आ भी जाते थे..बच्चों का अपने पापा से लगाव होता है..ऐसे भी बच्चों के लिए पापा हमेशा हीरो होते हें..

२) पापा बहुत प्यार से ये बतला दें की आज भी बिजी रहूँगा तुम मम्मी के साथ बाज़ार जाकर पटाखे ले लेना है.मै शाम तक आ जाऊंगा ...मुझे याद है ऐसी हालत का मुझे जब भी सामना करना पड़ा तो,पापा का बहुत प्यार से समझाना,मुझे शांत करने में मदद किया...बाल मन ये जनता है की कहीं न कहीं पापा की कोई मज़बूरी रही होगी नहीं तो पापा आ हीं जाते

और एक तीसरी संभावना ....जिसकी कामना आप कभी नहीं करना चाहेंगे...दीपावली की सुबह,नींद खुली नहीं की रोने की आवाज़ कानों में पड़ी ..आवाज़ हमारे उपर वाले पडोसी के घर से था.दरवाज़े पर भीड़ लगी थी...भीड़ में शामिल हुआ भी नहीं था की पता चला वर्मा जी नहीं रहे...उम्र लगभग 48 साल ..उनकी पोस्टिंग गोला झारखण्ड में थी..परिवार में एक बेटी उम्र 18 साल,एक बेटा उम्र 7 साल...और पत्नी..पिछले 5 दिनों से वो अपनी ड्यूटी पर हीं थे ..दीपावली में घर आना था ...बच्चे इंतजार कर रहे थे...मगर एक फ़ोन पुरे परिवार का होश उड़ा चूका था ...आनन् फानन कुछ लोग गोला जाने की तैयारी कर रहे थे...बच्चों के रोने की आवाज़ कान को चीरते हुए वातावरण गमगीन किये हुए था ....हम सभी ठगा ठगा सा महसूस कर रहे थे..बातों बातों में यही जानकारी मिल रही थी की वर्मा जी का हार्ट अटेक हो गया...मगर इसपर किसी को यकीन नहीं हो रहा था....

वर्मा जी एक हसमुख इन्सान...जब भी मिले हँसते हुए मिले ...होली,दशहरा,ईद ...उनके बिना हमलोगों ने कभी नहीं मनाया..वजह साफ़ थी वो रहते थे तो मस्ती दुगनी हो जाती थी..पढ़े लिखे बेहद समझदार,और शालीन व्यक्ति .

कल शाम ऑफिस से लौट रहा था तो देखा थे बच्चे फुल से सीढ़ी सजा रहे थे ...लाइट लगाने के लिए हेल्प की ज़रूरत हो तो मुझसे कहना कहते हुए मै अपने घर में चला गया ...मुझे पता था वर्मा जी अभी नहीं आयें है..कल सुबह तक आयेंगे.

पिछली दीपावली मुझे याद है..वर्मा जी बच्चों के साथ दस बजे तक लगातार पटाखा जलाते रहे..पुरे बिल्डिंग में कोई ऐसा घर नहीं था ..जो वर्मा जी को बधाई देने नहीं पहुंचा था..बच्चों को ध्यान से पटाखा जलाने का सलाह देते हुए भी लोगों से खुल कर मिल रहे थे..जो भी आता एक रोकेट पकड़ा कर कहते ये आपके लिए ...उनका ध्यान उन दीयों पर भी था जो हवा से बुझ जाते ..बात चीत के क्रम में बुझे दिए को भी जलाते जाते...पूरी तरह से उन्हें जीवन जीना आता हो जैसे...तब मै भी नहीं सोंचा था की ये उनकी अंतिम दीपावली है...

सब कुछ इतना अचानक था कि शब्द में ब्यान करना मुश्किल लगता है..बार बार एक ख़याल आता रहा बच्चों को कैसा महसूस हो रहा होगा..निरंतर उनके रोने की आवाज़ मेरी हिम्मत तोड़ रही थी .और यही लगता रहा की ऐसा नहीं होना चाहिए था....मगर ये भी पता चल रहा था की इश्वर के मर्ज़ी के आगे किसीकी नहीं चलती...बच्चों को चुपकराने वालों को भी रोते हुए देख कर मुझे भी रोना आ रहा था ...

कुछ लोग उनकी बॉडी लाने जा चुके थे...अब सभी को उनका इंतजार था..क्या हुआ-क्या हुआ पूछने वालों की संख्या बढ़ते जा रही थी ..तरह तरह की बाते भी हो रही थी ....इस बिच सब भूल चुके थे की आज दीपावली है..

शाम होते होते बॉडी अम्बुलेंस में आ चूका था....जहाँ पूरी दुनिया दीपावली के दिए जला रही थी वहीँ एक परिवार का बुझा हुआ दिया हम लोगों के सामने पड़ा हुआ था...मिसेज वर्मा जैसे चुप पड गयी थीं,बच्चे पापा,पापा चिल्ला चिल्ला कर रो रहे थे..कहीं न कहीं हम सभी अपनी अपनी आसुओं को छुपा रहे थे ...पूरी बिल्डिंग जहाँ आज जगमगा जाती थी अन्धकार लग रही थी ...भीड़ होते हुए भी एक सन्नाटा पसरा हुआ था...रह रह कर परिजनों को मस्तिस्क चिर देने वाली क्रंदन ..बहुत पीड़ादायक थी..

मै बार बार यही सोंचता रहा....ये बच्चे अब दीपावली को किस रूप में लेंगें... वास्तव में वर्मा जी ने जो बच्चों से वादा किया था तोड़ चुके थे...अब वो कभी बच्चों के साथ दीपावली मानाने नहीं आने वाले...ये एक सच है मगर कितना पीड़ादायक.

4 comments:

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही सुन्दर और शानदार पोस्ट ! बधाई!

Bishnu ki Kalam se said...

good post . Hope that Deepawali subh ho..

संगीता पुरी said...

बहुत दिनों से पोस्‍ट नहीं लिखी .. कहां हैं आप ??

पी.एस .भाकुनी said...

आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।