Monday, May 20, 2013

चटाईयां पेड़ पर नहीं उगती .................अरशद अली


कल एक बुढिया को
चटाई बुनते देखा
तब लगा चटाईयां बुनी जाती हैं
पेड़ पर नहीं उगती

पैसों के जोर पर
वो खुशियाँ खरीदने निकल जाता है
उसे ज्ञान नहीं
खुशियाँ बाज़ार में नहीं मिलती

सतह पर टिकने के लिए
कुछ प्रयास सतही हो सकते हैं
पर ग्रुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बगैर
कोई चीज सतह पर नहीं टिकती

जन्म से मृत्यु तक
सुख और दुःख के काल खंड
पलटते रहतें हैं
पूरा  जीवन सुख या सिर्फ दुःख में नहीं गुजरती

मै  बुढिया से मूल्य
 कम करा लेता हूँ चटाई की
वो मेरे चले जाने से डरती है
और किसी नुकसान से नहीं डरती


-----अरशद अली-----


7 comments:

Shalini kaushik said...

विचारणीय भावनात्मक अभिव्यक्ति .मन को छू गयी आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

अरुणा said...

बहुत सुन्दर गहन अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर बधाई

शिवम् मिश्रा said...

क्या कहे इस पर ... बेहद उम्दा भाव अली साहब !



ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अच्छा - बुरा - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

सतह पर टिकने के लिए
कुछ प्रयास सतही हो सकते हैं
पर ग्रुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बगैर
कोई चीज सतह पर नहीं टिकती

behtareen..

Arshad Ali said...

AAP SABHI KO THANKS

RAJWANT RAJ said...

arshad bhai . jldi blog pr nhi aa pati hu lekin aapko aaj ke pvitr tyohaar ke liye mubarakdad dena mai kbhi nhi bhool skti . khush rhiye aabad rhiye .

Aslam Ansari said...

Very nice sir