Arshad ke man se........
कुछ शब्दों के जोड़ घटाव से, घटनाओं के कई पड़ाव से, जो भी सिखा इस जीवन से, कुछ शब्द अरशद के मन से...................
Saturday, January 13, 2024
टिप्सं अपनाकर आपभी बन सकते हैं पापा द ग्रेट
फादर्स डे पर अच्छे पिता बनने के टिप्स जानें-
आपका समय कितना अनमोल है- चाहे आप कितने भी व्यस्त हों, बच्चेस के लिए समय ज़रूर निकालें क्योंककि ऐसा करने से आप अपने बच्चे को और उसकी आवश्यककताओं को समझ सकेंगे। आप अपने बच्चे को जो कुछ सिखाएंगे वो उसे आजीवन याद रहेंगे। शायद आपको भी अपने पिता द्वारा सिखाई कुछ बातें आज भी याद होंगी।
रोल माडल हैं आप- आपको पता होना चाहिए, कि आप एक रोल माडल की भूमिका निभा रहे हैं, ऐसे में आपके द्वारा की गलतियों को बच्चे ना दोहरायें इस बात का खास ख्याल रखें। बच्चोंज को सम्मािन दें, तभी वो आगे जाकर लोगों का सम्मािन करना सीखें।
पैरेंटिंग की कला सीखें-
याद रखें आपके लिए भी हर नया दिन सीखने का है। हालांकि समय के साथ आप बहुत कुछ सीख सकते हैं, लेकिन पैरेंटिंग की कला सीखें। अपने बच्चेप को समझने का प्रयास करें, उसकी बातें सुनें।
तो यह टिप्सं अपनाकर आपभी बन सकते हैं पापा द ग्रेट
Tuesday, February 14, 2023
श्रद्धांजलि
Monday, August 29, 2022
बेरोजगारी
मेरी जिन्दगी
एक कलम लो और कागज पर एक सीधी लकीर खींच दो।
नीचे लिख दो मेरी जिंदगी.....
उस सीधी लाइन के
पहले छोर को थोडा गाढ़ा बिन्दु कर दो
और निचे दर्ज कर दो
अपने जन्म की तारिख।
लकीर के अन्तिम छोर को हल्का रहने दो और कुछ लागतार बिंदू डाल दो .....कुछ इस तरह।
अब बीच के भाग पर नज़र गड़ा कर एक सवाल पुछो खुद से....
क्या इसके अलावा भी जिंदगी का कोई ढंग या रंग तुमने देखा है ?
जिंदगी सरल और सत्य है,एक सीधी लकीर के जैसी बाकी सब कुछ बनावटी है।
जिंदगी को सरल ही रहने दो और किरदार को आईना।
खामखा,जिंदगी को ताबीज मत पहनाओ।
लंबी उम्र की दुआ अम्मा कर देगी और अब्बू जिंदगी के लकीर को आसान बनाए रखेंगे।
तुम बस दुआ करो।
सीधी जिंदगी लंबी दिखेगी और बहुत आसन भी।
ऐसे भी जिंदगी आसान है खुदा का इस पर एहसान है।
एक कलम लो और कागज़ पर खिंच दो एक सीधी लकीर....
और निचे लिख दो "मेरी जिन्दगी"
अरशद अली
बोकारो इस्पात नगर
Sunday, December 16, 2018
Wednesday, December 13, 2017
क्या तुमने कभी देखा है ......अरशद अली ( एक कविता)
क्या तुमने कभी देखा है ......
नए ज़न्मे बच्चे को देखते हुए
माँ-बाप को
उसमे जो दिखता है ...
वो ख़ुशी है
और ख़ुशी,गम को दूर कर देती है
घोड़ों को सपाट धरती पर
दौड़ते हुए
उसमे जो दिखता है ...
वो स्फूर्ति है
और स्फूर्ति,आलस को दूर कर देती है.
क्या तुमने कभी देखा है ...
बरसात में अन्कुराते हुए
नए बीजों को
उसमे जो दिखता है
वो ज़िन्दगी है
और ज़िन्दगी,मौत को करीब कर देती है.
====अरशद अली====
Wednesday, November 29, 2017
सीढियां उपर जाने के लिए होती हें ..........अरशद अली
उनका मर जाना, सहज एक घटना थी।
उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें मरना हीं था।
कुछ लोग उनके की नहीं रहने पर
होने वाली समस्याओं को अन्यथा में लेंगे।
कुछ साथ देने का आडम्बर रचेंगे।
कुछ कर्म कांड में ब्यस्त रहेंगे।
सीढ़ी से गिर गयी थी माँ, उसी सीढ़ी से.....
जिसे पिताजी ने उपर जाने के लिए बनवाया था।
सीढियां उपर जाने के लिए होती हें,
और निचे उतरने में भी मदद करती हें।
मगर कुछ सीढियाँ मात्र उपर ले जाती हें।
निचे आने की संभावनाओं को समाप्त करते हुए।
परिवार और सरकार के फाइल में माँ का घटाव हो चूका है,
पता तब चला जब पिताजी का पेंसन आधा हो गया।
मात्र पेंसन आधा नहीं हुआ , पेंसन आधा होते हीं
उनकी सुविधाएँ भी आधी हो गयी।
माँ का जाना सुखद रहा उनके लिए
जो बिछावन पर उनके जीवन को बोझ समझते थें।
परन्तु पिताजी जैसे आनाथ हो गए
4 बजे उठाना, काली चाय,सब माँ के बदौलत था।
अन्यथा अन्य कहाँ समझ पातें हें उनकी आवश्यकता
अब वो भारी लगते हैं,और एक पहेली भी।
वो कभी माँ को भूल नहीं पाते
जबकि उनकी याददास्त बेहद कमजोर हो चुकी है।
उनका जूता पालीस करने वाला 50 रूपया लौटा गया मुझे
यह कहते हुए चाचा जी पैसा दे चुके थे पुनः दे गए।
चाचा जी को अपने याददास्त पर गर्व है।
मैंने उनके गर्व को टूटने नहीं दिया, पैसा रख लिया।
आज माँ का नाम लेकर चिल्ला रहे थे।
बहुद दिनों से हवन नहीं करवा रही हो ..कब होगा ??
थोड़ी देर बाद एकदम मौन हो गए,
शायद शोक मना रहे थे माँ के नहीं रहने का।
पिताजी ने हर दुःख सुख को माँ के साथ जिया है।
जाने कितनी बार माँ में उनके ज़ख्मों को सिया है।
सीढियां उपर जाने के लिए होती हें.......
सीढियां उपर जाने के लिए होती हें.......
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=====अरशद अली======
कुछ नए ब्लोग्स जो आपको अच्छे लगेंगे।
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