माँ की तबियत ठीक नहीं ........करीब एक महीने से बीमार हैं .......उनकी बिमारी मानसिक है .......मगर बेहद समझदारी के साथ ........वो जानती हैं की पूरा परिवार चिंतित है ........यही कारण है, कल रात भी सभी के सोने के बाद उन बर्तनों को चुप-चाप धो डाला जो अगली सुबह, मुझे धोने थे .........शायद वो सोंचती हैं बेटा को ठण्ड में सुबह-सुबह बर्तन धोने से परेशानी होगी ........वो ज़ल्द ठीक हो जाएँ बस आप सभी की दुआओं की ज़रूरत ,और मुझे क्या चाहिए ..........अल्लाह दुआओं को सुनते हैं ........... मेरी माँ की लिए के लिए दुआ करें "वो ज़ल्द ठीक हो जाएँ"
(1)
ज़ेहन गौर करे
गलतियां सुधर जाए
मेरे "खुदा" रात छटे
और एक सुबह आये
तुम दुआ मांगो
मै भी दुआ करता हूँ
हम तुम्हारे,तुम हमारे
दुआगो बन जाए
नेकियाँ साथ हो
और बदी दूर रहे
दिली सुकून मिले
लब जब कोई बात कहे
निगाह नीची रहे
और सर हमेशा सजदे में
मेरे "खुदा"
रहमो करम तेरा हो जाये
ज़ेहन गौर करे
गलतियां सुधर जाए
मेरे "खुदा" रात छटे
और एक सुबह आये
(2)
क्या हाल हुआ होता ...
अगर अम्मी नहीं होती।
दिन -रात मै रोता
अगर अम्मी नहीं होती।
दूध का कतरा अगर
हिम्मत नहीं बढ़ता ....
ये कलम कैसे चलता
अगर अम्मी नहीं होती।
खिदमत,एक इबादत
क़दमों के निचे ज़न्नत ...
ज़न्नत ये कैसे होता
अगर अम्मी नहीं होती।
कलमा सिखाने वाली
दिन-रात दुहराने वाली
इमां नहीं होता ..
अगर अम्मी नहीं होती।
कई रात उनके फांके
हर आहट पर जो जागे ...
चैन से कैसे सोता
अगर अम्मी नहीं होती।
वो रिश्तों में हैं अफज़ल
"खुदा" की एक नेमत ..
मै इंसान कैसे होता
अगर अम्मी नहीं होती।
--------अरशद अली --------
(1)
ज़ेहन गौर करे
गलतियां सुधर जाए
मेरे "खुदा" रात छटे
और एक सुबह आये
तुम दुआ मांगो
मै भी दुआ करता हूँ
हम तुम्हारे,तुम हमारे
दुआगो बन जाए
नेकियाँ साथ हो
और बदी दूर रहे
दिली सुकून मिले
लब जब कोई बात कहे
निगाह नीची रहे
और सर हमेशा सजदे में
मेरे "खुदा"
रहमो करम तेरा हो जाये
ज़ेहन गौर करे
गलतियां सुधर जाए
मेरे "खुदा" रात छटे
और एक सुबह आये
(2)
क्या हाल हुआ होता ...
अगर अम्मी नहीं होती।
दिन -रात मै रोता
अगर अम्मी नहीं होती।
दूध का कतरा अगर
हिम्मत नहीं बढ़ता ....
ये कलम कैसे चलता
अगर अम्मी नहीं होती।
खिदमत,एक इबादत
क़दमों के निचे ज़न्नत ...
ज़न्नत ये कैसे होता
अगर अम्मी नहीं होती।
कलमा सिखाने वाली
दिन-रात दुहराने वाली
इमां नहीं होता ..
अगर अम्मी नहीं होती।
कई रात उनके फांके
हर आहट पर जो जागे ...
चैन से कैसे सोता
अगर अम्मी नहीं होती।
वो रिश्तों में हैं अफज़ल
"खुदा" की एक नेमत ..
मै इंसान कैसे होता
अगर अम्मी नहीं होती।
--------अरशद अली --------
2 comments:
शब्दों मिएँ जादू किया है आपने ... माँ जल्दी ही ठीक होंगी ... प्रार्थना है ईश्वर से ...
bahut sunder. maa ke prati sradha badhati hui rachana.
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