लड़की वाले डरे-डरे से थे...
लड़के वाले हरे-भरे से थे..
हाँथ में थाल लिए कन्या जैसे आई
लड़के की माँ, पति पर चिल्लाई
मुझे सातवीं बार वही लड़की दिखला रहे हो
जगह बदल बदल कर एक हीं घराने में आ रहे हो
पति झुंझला गया
अपनी औकात पर आ गया
कहा,
भाग्यवान लड़की के मामले में तुम थोडा लेट हो...
क्या करोगी जब मामला पहले से सेट हो..
हर बार लड़की देख कर कहती हो
लड़की काली है
यही काली लड़की तुम्हारे बेटे के बच्चे की माँ बनने वाली है
श्रीमती बोली, मुझे उम्मीद नहीं था बेटे की नादानियों पर
तुम भी गुल खिलाओगे
अगर शादी यहाँ करोगे तो दहेज़ में क्या पाओगे?
लड़की चुप्पी तोड़ कर कही,
सासु अम्मा ...आज-कल में ले चलिए तो दहेज़ कम
और बहुत सारा सम्मान पाइयेगा
चार महीने अगर लेट करियेगा तो बदनामी ,एक काली बहु और साथ साथ
एक पोता भी पाइयेगा
तश्वीर गूगल के मदद से ....
-----अरशद अली -------
2 comments:
उम्दा रचना !!
सुंदर
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