कुछ लफ्ज़ मेरे लब को
नेकी-बदी ने दी
एक तमाचा मेरे गुरुर पर
मेरी ख़ुदी ने दी
एक अश्क मेरे शक्ल का
इस ज़िन्दगी ने दी
सब छूटने का ग़म
मेरी बेखुदी ने दी
एक ख़त जला और
गुजरा हुआ वक़्त दिख गया
एक अँधेरा मेरी ज़िन्दगी को
इस रौशनी ने दी
सब लफ्ज़ इन हवाओं में
महफूज़ अब भी है
मौत मेरी ज़िन्दगी को
इसी ज़ुस्तज़ु ने दी
अब पूछने को कई
सवाल ज़िंदा हैं
दिल टूट जाने की सजा
खामोशियों ने दी
---अरशद अली ---
नेकी-बदी ने दी
एक तमाचा मेरे गुरुर पर
मेरी ख़ुदी ने दी
एक अश्क मेरे शक्ल का
इस ज़िन्दगी ने दी
सब छूटने का ग़म
मेरी बेखुदी ने दी
एक ख़त जला और
गुजरा हुआ वक़्त दिख गया
एक अँधेरा मेरी ज़िन्दगी को
इस रौशनी ने दी
सब लफ्ज़ इन हवाओं में
महफूज़ अब भी है
मौत मेरी ज़िन्दगी को
इसी ज़ुस्तज़ु ने दी
अब पूछने को कई
सवाल ज़िंदा हैं
दिल टूट जाने की सजा
खामोशियों ने दी
---अरशद अली ---
2 comments:
उम्दा भावपूर्ण रचना |
Main bhi bahut khamosh ho gaya hun... Main badal sa gaya hun... Mujhe bhi bahut question puchne hain. . Saare sawaal aese hi reh gaye hain. .. Sir kuch kar dijiye.. I love her a lot.. Soni ko bahut pyar krta hun main..
Post a Comment