(१)
एक बात को
दो बार मत कहना
अर्थ अलग लगाया जायेगा
पहले बार में सीखेंगे सब
दूसरी बार मजाक उड़ाया जायेगा
सार्थक सोंच तो
सार्थक बनी रहेगी
पर सार्थकता के अर्थ को
आजीवन छुपाया जायेगा
बड़ी ब्यर्थ अर्थ निकालेंगे
जब भी कुछ दुहराया जायेगा
एक बात को
दो बार मत कहना
अर्थ अलग लगाया जायेगा
(२)
मनुष्य जब भी सकारात्मकता
से उब जायेगा
अतीत के
समंदर में
वर्तमान डूब जायेगा
नासिका स्वास कहाँ ले पायेगी
हीनता फेफड़ों में
जगह बनाएगा
मस्तिष्क शुन्य करेगी
भविष्य की कामनाएं
हाँथ पावं मरे बिना
मनुष्य डूब जायेगा
मनुष्य जब भी सकारात्मकता
से उब जायेगा
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